औरंगाबाद में घूमने की जग़ह | Places to visit in Aurangabad

परिचय (Introduction)

औरंगाबाद यह ऐतिहासिक सौंदर्य से भरा एक स्वर्ग हैं। यह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो महाराष्ट्र का एक शहर हैं। जिसने सदियों तक अपनी समृद्धि और सौंदर्य से लोगोंको प्रभावित किया हैं।

औरंगाबाद कैसे पोंहचे (How to reach Aurangabad)

औरंगाबाद आने केलिए आपको बहोत सारे विकल्प मौजूद हैं। मुंबई से औरंगाबाद की दुरी लगभग 330 किलोमीटर की हैं। आप महाराष्ट्र गवर्नमेंट की बसेस का उपयोग करके यहाँ तक पोहच सकते हो।

आपके पास खुद की कार हैं तो आप समृद्धि महामार्ग का उपयोग करके औरंगाबाद तक पोहच सकते हैं। यदि आपको हवाई जहाज से आना है तो आप औरंगाबाद एयरपोर्ट उतर सकते हैं। आप रेल से भी औरंगाबाद तक आ सकते हैं। भारत के सभी प्रमुख शहर से आपको औरंगाबाद केलिए रेल मिल जाएँगी। 

औरंगाबाद में रुकने का व्यवस्था (Accommodation in Aurangabad)

यहाँ बहोत सारे होटल्स उपलब्ध हैं। यहाँ आपको आपके बजट अनुसार रुकने की व्यवस्था हो जाएँगी। यहाँ जितने भी पर्यटन स्थल हैं उनके आसपास आपको काफी सारे होटल्स देखने मिल जाएँगे। 

तो चलिए बात करते आप जब औरंगाबाद आओगे तो कहाँ कहाँ घूम सकते हो? 

औरंगाबाद के पर्यटन स्थल (Tourist places of Aurangabad)

औरंगाबाद में घूमने केलिए काफी सारे जग़ह हैं पर कुछ जग़ह पर लोग ज्यादा ताताद में देखने जाते हैं। पूरा औरंगाबाद ही बहोत सूंदर हैं पर कुछ पर्यटन स्थलों के बारे में हम यहाँ बात करेंगे। 

बीबी का मक़बरा (Bibi Ka Maqbara)

बीबी का मक़बरा औरंगाबाद में स्थित हैं। यह मक़बरा मुघल सम्राट औरंगज़ेब की पत्नी दिलरास बानो की हैं। ऐसा कहा जाता हैं की इस मक़बरे का निर्माण राजकुमार आजम ने अपने माँ की याद में 1651 से 1661 के दौरान किया गया था। यह मक़बरा आगरा के ताज महल का प्रेरणा स्त्रोत हैं। 

Bibi ka maqbara

इसे महाराष्ट्र का ताज महल भी कहा जाता हैं। इस मक़बरे के 4 मिनारे हैं और उनकी ऊंचाई लगभग 274 मीटर की हैं। इस मक़बरे का निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार आता-उल्ला और हंसपंत राय ने किया था।  इस मक़बरे के आसपास सूंदर बगीचा बनवाया गया हैं। इसे चावबाग गार्डन भी कहा जाता हैं। 

औरंगाबाद से बीबी के मक़बरे की दुरी लगभग 6 किलोमीटर की हैं। यहाँ तक आप ऑटो से आ सकते हो या बस से आ सकते हो। आपके पास कार या बाइक है तो भी आप यहाँ तक आ सकते हैं। 

दौलताबाद किला (Daulatabad Fort)

दौलताबाद किला जिसे देवगिरी किला भी कहा जाता हैं। दौलताबाद किला औरंगाबाद से 17 से 18 किलोमीटर की दुरी पर हैं। यह किला एल्लोरा गुफाएं जाने वाले रास्ते में ही हैं। यह किला दौलताबाद गांव में हैं।

Daulatabad fort

Image source : Aurangabad Tourism

इस किले का निर्माण राजा भिल्लव यादव ने सन 1187 में किया था। इस किले के अंदर प्रवेश करने केलिए भारतीयों को ₹25/- और विदेशी पर्यटकों केलिए ₹300/- की टिकट हैं। इस किले में सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक प्रवेश दिया जाता हैं। 

यह किला बहोत ही बड़ा हैं। आपको पूरा किला सही से देखना है तो आप सुबह जल्दी किले पर आ जाये। यह एक ऐसा अभेद्य किला है जिसे सीधे युध्य करके कभी कोई नहीं जीत पाया हैं। इस किले को सिर्फ गद्दारी से और धोके से जीता गया हैं। 

इस किले के अंदर आपको बहोत सारे तोफे दिखाई देते हैं। इस किले पर भारतमाता मंदिर और गणपती का मंदिर दिखाई देता हैं। इस किले पर पानी का कुआ भी हैं जो अभी सूखा पड़ा हैं।

इस किले पर कुछ जग़ह भूलभुलैया जैसे हैं। अगर कोई शत्रु इस किले पर हमला करता हैं तो इस भूलभुलैया में फस जाते थे। इस कारण शत्रु को हराना आसान हो जाता था। यह इस किले की विशेषताएं थीं। इसी को देखते हुए दिल्ली के राजा ने उसकी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद लाई पर कुछ कारणों से कुछ ही समय बाद फिरसे दिल्ली को ही राजधानी बनाया गया। 

सिद्दार्थ बगीचा और प्राणिसंग्राहलय (Siddharth Garden and Zoo)

सिद्धार्थ गार्डन और प्राणिसंग्राहलय औरंगाबाद से लगभग 4 से 5 किलोमीटर की दुरी पर हैं। छोटे बच्चों केलिए यह बहोत ही सूंदर बगीचा तैयार किया गया हैं। इस बगीचे को देखने केलिए आपको हर व्यक्ति ₹20/- टिकट लेकर आप बगीचे में घूमने आ सकते हो। यह बगीचा सुबह 9 बजे से शामको 5 बजे तक खुला रहता हैं। यह बगीचा हर मंगलवार को बंद रहता हैं।

Siddharth garden

Image credit : www.marathwadatourism.com

इस बगीचे में छोटे बच्चों को खेलने केलिए बहोत सारे साधन हैं। यहाँ आपको कार्टून के स्टैचू बनाये गए हैं जो बच्चों को बहोत पसंद आता हैं। इस पुरे बगीचे को छोटे बच्चे काफी पसंद करते हैं और बहोत एन्जॉय करते हैं। 

इस बगीचे को जुड़कर ही एक प्राणिसंग्राहलय हैं। इस प्राणिसंग्राहलय को देखने केलिए ₹50/- टिकट लेनी होती हैं और बच्चों केलिए ₹20/- टिकट लेनी होती हैं। यहाँ ऑनलाइन भुगतान नहीं होता हैं तो इसलिए आप यहाँ कॅश जरूर लेकर जाये।

इस प्राणिसंग्राहलय में आपको हिरण, रेनडियर, भेड़िया, नीलगाय, तेंदुआ, कछुवा और अलग अलग तरीके के सांप आपको देखने मिलते हैं। यहाँ पर आपको सारे जानवर एक साथ देखने मिल जाते हैं। 

अजंता गुफाएं (Ajanta Caves)

अजंता गुफाएं औरंगाबाद से लगभग 103 किलोमीटर की दुरी पर हैं। यहाँ से आपको अजंता गुफा केलिए ऑटो, प्राइवेट कार, या महाराष्ट्र गवर्नमेंट की बस मिल जाएगी। यह गुफाएं वाघुर नदी के पास हैं। यहाँ टोटल 29 गुफाएं हैं और सारी गुफाएं बौद्ध धर्म की हैं। यह गुफाएं घने जंगल के बिच में हैं। 

Ajanta caves

यहाँ की गुफओं को यूनिस्को ने 1983 को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया हैं। यहाँ पर भारतीय पर्यटक और विदेशी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं। यह जग़ह पर्यटकों का पसंदीदा जग़ह हैं। यहाँ बहोत सूंदर मुर्तिया हैं जिसे इस तरह से बनाया गया हैं की विश्वास नहीं होता इतनी खूबसूरत मुर्तिया बनायीं गयी हैं। 

अद्भुत कलाकृती, बेहतरीन नक्काशी जिसे आप देखकर अचंबित हो जाओगे। ब्रिटिश अधिकारी जॉन स्मित ने 28 अप्रैल 1829 में शिकार करते वक़्त उन्हें यह गुफाएं दिखाई दी। तभी उन्होंने यह गुफाएं सारी दुनिया के सामने लेकर आये। 

एल्लोरा गुफाएं (Ellora Caves)

एल्लोरा गुफाएं भारत के औरंगाबाद में स्थित हैं। यह गुफाएं औरंगाबाद से 30 किलोमीटर की दुरी पर हैं। यह गुफाओ में बौद्ध धर्म, हिन्दू धर्म और जैन धर्म के संबंधित स्मारक दिखाई देते हैं। 

Ellora caves

इन गुफाओं को चरनानंद्री पहाड़ियों के बेसॉल्ट की चट्टानों को काटकर बनायीं गयी हैं। 34 गुफाएं पर्यटकों केलिए खुली हैं। 1-12 नंबर की गुफाएं बौद्ध धर्म की हैं। 13-29 नंबर की गुफाएं हिन्दू धर्म की हैं। और 30-34 नंबर की गुफाएं जैन धर्म की हैं।  

एल्लोरा में पर्यटकों देखने केलिए बहोत कुछ हैं। आप यहाँ कैलाश मंदिर देख सकते हो, रावण की खाई देख सकते हो, विश्वकर्मा गुफा देख सकते हो, इंद्र सभा देख सकते हो। यह पर्यटकों का मुख्य आकर्षण हैं। यहाँ आप ढोल ताल गुफ़ा, तीन ताल गुफ़ा भी देख सकते हैं। 

इन खूबसूरत जगह को देखने केलिए आपको एल्लोरा जरूर आना चाहिए। 

हुज़ूर साहेब नांदेड़ (Huzoor Saheb Nanded)

हुज़ूर साहेब गुरुद्वारा औरंगाबाद से लगभग 280 किलोमीटर की दुरी पर हैं। आप भारत में कही पर भी रहते हो और आपको हुज़ूर साहेब गुरुद्वारा आना है तो आपको हुज़ूर साहेब रेलवे स्टेशन उतरना हैं। स्टेशन से गुरुद्वारा की दुरी लगभग 1 किलोमीटर की हैं। यह गुरुद्वारा दुनियाभर में बहोत प्रसिद्ध हैं। 

Huzoor saheb gurudwara

इस गुरूद्वारे को तख्त साहेब भी कहा जाता हैं। यही पर सिखों के 10 वे गुरु श्री गुरु गोविंद सिंग जी ने अंतिम सांस ली थी। इसलिए इसे पवित्र स्थान माना जाता हैं। यहाँ परआपके रुकने की व्यवस्था गुरूद्वारे के गेस्ट हाउस में हो जाती हैं। यह गेस्ट हाउस निःशुल्क हैं। अगर आप बाहर रुकना चाहते हो तो आपको ₹500/- लेकर आपके बजट के अनुसार आपको होटल्स रूम मिल जायेंगे। 

यहाँ आपको दर्शन काफी आसानी से हो जाता हैं। यहाँ की सिस्टम बहोत ही बढ़िया हैं। यह गुरुद्वारा श्री गुरु गोविंद सिंग जी के मृत्यु के स्थान पर बनवाया गया हैं। सिखों में इस सिंघासन को सबसे पवित्र माना गया हैं। 

दर्शन करने के बाद आप यहाँ का लंगर का स्वाद ले सकते हो। यहाँ आप सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक का लंगर खा सकते हैं। आप औरंगाबाद घूमने आ रहे हो तो यहाँ आपको ज़रूर आना चाहिए।

औरंगाबाद घूमने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Aurangabad)

औरंगाबाद आप घूमने केलिए कभी भी आ सकते हो। अगर आप बारीश के वक़्त आते हो तो आपको प्रकृति का मनमोहक सुंदरता देखने मिल जायेगी।

FAQ

Q 1- औरंगाबाद में फेमस क्या हैं?
Ans – औरंगाबाद में अजंता और एल्लोरा गुफाएं बहोत फेमस हैं। दौलताबाद किला, बीबी का मक़बरा बहोत फेमस हैं।

Q 2- दौलताबाद किले को और कोनसे नाम जाना जाता हैं?
Ans – दौलताबाद किले को देवगिरी के नाम से भी जाना जाता हैं।

Q 3- औरंगाबाद क्यों जाएं?
Ans – औरंगाबाद यह ऐतिहासिक सौंदर्य से भरा एक स्वर्ग हैं। यह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो महाराष्ट्र का एक शहर है।

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